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चन्द्रयान-3 (Chandrayaan-3) क्या है?

चन्द्रयान-3 (Chandrayaan-3) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा प्रदर्शित हो रहा है। यह मिशन पहले चन्द्रयान-1 और चन्द्रयान-2 के उपयुक्त सफलतापूर्वक पूर्वावलोकन के बाद शुरू किया गया है।

इससे पहले भी भारत ने अब तक दो चंद्रयान मिशन भेजे हैं।

चंद्रयान-1: चंद्रयान-1 भारत का पहला चंद्रमा मिशन था, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया था। यह मिशन 22 अक्टूबर 2008 को शुरू हुआ था और अप्रैल 2009 तक चंद्रमा के निकट सतह के अध्ययन के लिए काम करता रहा।

चंद्रयान-2: चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन था, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा लॉन्च किया गया था। इस मिशन में चंद्रयान-2 में दो भागों के साथ एक लैंडर (विक्रम) और एक रोवर (प्रज्ञान) शामिल थे। यह मिशन 22 जुलाई 2019 को शुरू हुआ था, लेकिन लैंडर का विक्रम चंद्रमा के पृष्ठ पर सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर सका। हालांकि, चंद्रयान-2 की ऑर्बिटर मिशन में सफलता हुई और वह चंद्रमा की ओर नैभिकता से जानकारी भेजती रही।

इस विशेषता से भरा मिशन भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो चंद्रमा के विज्ञान और अनुसंधान के क्षेत्र में नए और महत्वपूर्ण जानकारी को उजागर करने का लक्ष्य रखता है।

चन्द्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर एक अपने परीक्षणीय रोवर को भेजकर उसमें नैभिक तंत्र का अध्ययन करना है। इस रोवर के माध्यम से वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह और भू-तारांकन से संबंधित जानकारी प्राप्त करने का मौका मिलेगा। मिशन में भारतीय प्रकृति से जुड़े तकनीकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा ताकि भविष्य में चंद्रमा पर और अधिक अनुसंधान की जा सके।

चन्द्रयान-3 में एक प्रकृति लैंडर और रोवर युक्त प्रायोज्य शक्तिसंचयन वाहन होगा, जिसे प्रक्षेपण भू-ग्राहणीय रॉकेट से चंद्रमा की ओर भेजा जाएगा। मिशन के सफल संपन्न होने पर भारत दुनिया में तीसरे देश बनेगा जो चंद्रमा के सतह पर रोवर प्रेषित कर सकता है। इसके साथ ही, चन्द्रयान-3 मिशन भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया मुकाम प्रदर्शित करेगा और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिलेगी।

इस मिशन को यशस्वी बनाने के लिए वैज्ञानिक, अभियंता और अन्य विशेषज्ञों की टीमों ने विभिन्न तकनीकी, ताकनीकी और व्यवस्थापनीय चुनौतियों का सामना किया है। मिशन की सफलता भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक नयी प्रतीक्षा का संकेत करेगी, जिससे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान को एक नया आयाम मिलेगा। चन्द्रयान-3 के सफलतापूर्वक उत्तराधिकारी मिशनों को प्रेरित करने में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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