what is journal entry |
इसको समझना मैगी बनाने से भी ज्यादा आसान है जी हाँ आप मेरा विश्वास कीजिये इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आप दुनिया की कोई भी एंट्री हो जर्नल में आसानी से कर सकते है।
बस इसके लिए आपको अपना पढ़ने का तरीका थोड़ा सा बदलना पड़ेगा मतलब जैसा हम पहले से पढ़ते आएं है रटकर। तो मेरे भाई accounting ऐसा सब्जेक्ट है जिसे आप रटकर मार्क्स तो गेन कर सकते है लेकिन अकाउंटेंट नहीं बन सकते है। इसके लिए आपको कॉन्सेप्ट को समझना होगा और एक बार अगर आपने कांसेप्ट को समझ लिया तो समझो सब कुछ आसान है।
financial accounting यानि accounting का पहला चरण जो होता है वो होता जर्नल तो बिना ये जाने की journal entries kya hoti hai , journal entries ke ruls kya hote hai , आप accounting में आगे कुछ भी नहीं कर सकते तो आईये हम सबसे पहले जानते है की जर्नल एंट्री क्या होती है।
journal entry क्या होती है ?
देखिये journal entry में दो शब्द है एक journal और एक entry तो पहले जानते है जर्नल क्या होता है ?
देखो भइया जब भी कोई व्यक्ति व्यापार करता है तो एक बुक रखता है जिसमे वो अपने व्यापार सम्बन्धी विवरण को तुरंत लिखना चाहता है और वो भी इस तरीके से जिससे उसे बाद में आसानी से समझ आ जाये की हमारे व्यापार में हमने क्या बेचा है क्या खरीदा है कितने का खरीदा है किसने उधार लिया है और हमने किससे उधार लिया है आदि वगैरह वगैरह चीजे। तो इस विवरण को लिखने के लिए व्यापारी या दूकानदार जिस पुस्तक का प्रयोग करता है उसे हम journal कहते है
और उस जर्नल यानि बुक में विवरण लिखने की जो प्रक्रिया है उसे एंट्री कहते है अर्थात जब हम उस बुक में डाटा को प्रवेश कराते है तो वह होता है हमारा एंट्री।
तो साधारण शब्दों में कहे तो जर्नल बुक में डाटा को एंटर करना अर्थात व्यवहारों को लिखना ही journal entry कहलाता है।
journal entry द्विप्रिविष्टि प्रणाली अर्थात double entry system पर आधारित है आईये समझते है double system , या द्विप्रिविष्टि प्रणाली क्या होती है ?
मान लीजिये आपकी एक दूकान है किराने की तो आपके यहां रोज ग्राहक भी आते होंगे सामान खरीदने के लिए अब जब ग्राहक सामान खरीदता है तो उसके बदले में पैसे देता है। या उधार लेता है तो भी वो हमे प्रॉमिस देता है पैसे चुकाने का तो कुल मिलकर कहने का अर्थ ये है की जब भी कोई सौदा होता है तो उसका प्रभाव दो पछों पर पड़ता है एक लेने वाले पर और एक देने वाले पर अगर कोई व्यक्ति कुछ ले रहा है तो जरूर उसने उसके बदले में कुछ देना होगा। यही व्यापार कहलाता है।
तो अकॉउंटिंग में हमें दोनों पछो का ध्यान रखना पड़ता है और प्रत्येक एंट्री को दो पक्ष में लिखा जाता है तो यही होता है डबल एंट्री सिस्टम
journal entry कैसे करते है ?
देखिये जर्नल एंट्री करने के लिए कुछ रूल्स होते जिसे हम फॉलो करके आसानी से जर्नल एंट्री कर सकते है। तो इस रूल्स को समझने से पहले आपको ये जानना बेहद जरूरी है की acounts kya होता है। और अकॉउंट कितने प्रकार के होते है ?
तो दोस्तों मैंने अपनी पिछली पोस्ट में बताया था की acounts क्या होते है ? और और account कितने प्रकार के होते है ?
अब समझ लेते की journal entries के लिए क्या बेसिक रूल्स होते है।
तो इसके दोस्तों अकॉउंट के आधार पर तीन गोल्डन रूल बनाये गए है।
golden rules of journal entries.
golden rules of journal entries.
- for personal account:
debit the receiver credit the giver. - for real account:
debit what comes in credit whats goes out. - for nominal account:
debit all expenses and losses, credit all gains and incomes.
बनाने होते है कुछ इस तरह से
date | particulars | LF | Dr. amount | Cr.amount |
1 Comments
Sir g aapne to bataya hi nahi
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